
उत्तराखंड में लोग निरंतर जंगली जीवों का शिकार होते आ रहे हैं। ताजी घटना चमोली जिले के डुमक गांव की है, जहाँ 42 वर्षीय किसान सुंदर सिंह ने अपनी 38 वर्षीय पत्नी लीला देवी को भालू के हमले से बचाने के प्रयास में अपनी जान गंवा दी। भालू के हमले में गंभीर रूप से घायल लीला देवी को ऋषिकेश एम्स भेजा गया है, जहाँ उनकी हालत नाजुक बनी हुई है।
बताया जाता है कि गुरुवार16 अक्टूबर की सुबह ये दंपती मवेशियों के लिए घास लेने जंगल गए थे। इसी दौरान एक भालू ने लीला देवी पर हमला कर दिया। अपनी पत्नी पर भालू का हमला देखकर सुंदर सिंह तुरंत उसे बचाने के लिए भालू से भिड़ गए। इस संघर्ष के दौरान भालू ने सुंदर सिंह को चट्टान से नीचे खाई में फेंक दिया। चमोली जिले में यह भालू के आतंक की कोई पहली घटना नहीं है, बल्कि पिछले कुछ वर्षों के आंकड़े डरावने वाले हैं।
अभी कुछ दिनों पहले मुनस्यारी (पिथौरागढ़)। विकासखंड के देरुखा गांव में 51 वर्षीय पुष्कर राम पर दिनदहाड़े भालू ने हमला कर दिया था। घटना में वे गंभीर रूप से घायल हो गये थे। इसी साल जून माह में सल्ट विधानसभा क्षेत्र में भालू का आतंक देखने को मिला। यहाँ भालू ने दो महिलाओं सहित तीन लोगों पर हमला कर दिया था ।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड देश के उन चुनिंदा राज्यों में शामिल है, जहां इंसानों और जंगली जानवरों के बीच सबसे ज्यादा टकराव होता है। राज्य में गुलदार और भालू के हमलों से लोग दशकों से परेशान हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 25 वर्षों में 1250 से ज्यादा लोगों की जान ऐसे हमलों में जा चुकी है, जबकि, 6000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। सैकड़ों की संख्या में मवेशी भी जानवरों का निवाला बने।
