
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत मंडपम में ‘वर्ल्ड फूड इंडिया 2025’ के चौथे आयोजन का उद्घाटन किया। खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा आयोजित इस प्रमुख वैश्विक कार्यक्रम ने एक बार फिर भारत को “विश्व की खाद्य टोकरी” के रूप में स्थापित किया और खाद्य प्रसंस्करण में भारत के नेतृत्व को मजबूती प्रदान की।
प्रधानमंत्री ने वर्ल्ड फूड इंडिया के प्रदर्शनी मंडप का दौरा किया एवं पोषण, तेल की खपत में कमी तथा पैकेजिंग के स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं को और बेहतर बनाने पर संतोष जताया। इस अवसर पर रूस के उप-प्रधानमंत्री दिमित्री पत्रुशेव, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और प्रतापराव जाधव भी मौजूद रहे।
उद्घाटन के अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “वर्ल्ड फूड इंडिया अब संदर्भ, सामग्री और रचनात्मकता का एक अद्वितीय मंच बन चुका है। भारत की विशेष ताकतें, इसकी विविधता, मांग और पैमान इसे वैश्विक खाद्य अर्थव्यवस्था में निर्णायक प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त प्रदान करते हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि इक्कीसवीं सदी दुनिया के सामने कई चुनौतियाँ लेकर आई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जब भी ऐसी चुनौतियाँ आई हैं, भारत ने सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए आगे कदम बढ़ाया है और वैश्विक खाद्य सुरक्षा में निरंतर योगदान दिया है।
आयोजन के अवसर पर सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और खाद्य प्रसंस्करण मंत्री चिराग पासवान की सह-अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय सीईओ गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस गोलमेज सम्मेलन में खाद्य प्रसंस्करण एवं रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह और भारत सरकार तथा राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित हुए।
श्री गडकरी ने अपने विशेष संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के विजन को देश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि प्रसंस्करण की हिस्सेदारी बढ़ाकर ही साकार किया जा सकता है। श्री पासवान ने पिछले सत्र के बाद से की गई कार्यवाहियों के बारे में बताया और उद्योग जगत को आश्वस्त किया कि वे उनके और सरकार के बीच एक मध्यस्ता का काम करेंगे। ब्रिटानिया, पेप्सिको, अमूल, आईटीसी, नेस्ले, मोंडेलेज, टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, कोका-कोला और मैरिको जैसी प्रमुख कंपनियों के सीईओ ने भी अपने विचार साझा किए।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने आयोजन के अवसर पर खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की अग्रणी घरेलू और वैश्विक कंपनियों के साथ 76,000 करोड़ रुपए से अधिक के समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए। ये निवेश पेय पदार्थ, डेयरी और कन्फेक्शनरी सहित प्रमुख उप-क्षेत्रों में फैले हुए हैं।
